knowledge
  • text

PRESENTS

sponser-logo

TYRE PARTNER

  • text

ASSOCIATE PARTNER

  • text
हिंदी समाचार / photo gallery / knowledge / पुण्यतिथि : क्यों हिंदुओं के प्रतीक इस्तेमाल करता था टीपू सुल्तान, कैसा शासक था वो

पुण्यतिथि : क्यों हिंदुओं के प्रतीक इस्तेमाल करता था टीपू सुल्तान, कैसा शासक था वो

टीपू सुल्तान की 4 मई 1799 को अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में मृत्यु हो गई. मृत्यु मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम में हुई. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान को धोखा देकर उसकी हत्या की. टीपू सुल्तान की तलवार को ब्रिटिशर्स ब्रिटेन ले गए. टीपू को लेकर बहुत सी बातें कही जाती हैं लेकिन ये बात सही है कि समय से बहुत आगे थे. हालांकि उन्हें लेकर इन दिनों लगातार विवाद भी छिड़ा रहता है.

01

1. मैसूर के कपड़े को खास बनाने का श्रेय टीपू को ही जाता है-मैसूर क्षेत्र में रेशम के कीड़े पालने के व्यवसाय की शुरुआत टीपू ने ही करवाई थी. मैसूर गजट में ये बात दर्ज है. टीपू सुल्तान ने बंगाल से शहतूत के पेड़ लगाने की कला सीखी और अपने राज्य में 21 अलग-अलग केंद्रों पर इसकी ट्रेनिंग देनी शुरू की. आगे चलकर ये उद्योग मैसूर का सबसे प्रमुख उद्योग बना.  मैसूर का रेशम (सिल्क) देश भर में अपनी गुणवत्ता के चलते जाना जाता है. टीपू ने न सिर्फ बाहर से कपास के आयात पर रोक लगाई बल्कि इस बात का भी पूरा ख्याल रखा कि हर बुनकर को कपड़े तैयार करने के लिए अच्छी मात्रा में कपास मिलता रहे.

02

2. टीपू ने गन्ने की खेती के लिए चीनियों की मदद ली- बड़ी मात्रा में मैसूर में गन्ने की खेती में भी टीपू सुल्तान का ही योगदान माना जाता है. गजट के हिसाब से इसकी खेती के लिए टीपू सुल्तान ने चीनी विशेषज्ञों की मदद ली थी. जिनके संरक्षण में अच्छी गुणवत्ता के गुड़ और शक्कर का उत्पादन होता था.

03

3. टीपू का स्टेट भी ड्राइ स्टेट हुआ करता था- टीपू ने बहुत सी लड़ाइयां लड़ीं. जिनमें अंग्रेजों से लड़ी चार बड़ी लड़ाइयां भी शामिल हैं. अपनी लड़ाइयों के बीच टीपू को जो थोड़ा सा शांति का वक्त मिला उस दौरान उसने कई समाजसुधार के काम भी किए. इनमें से एक था शराबबंदी.

04

5. भारत की देसी रॉकेट टेक्नोलॉजी- टीपू सुल्तान के मिसाइल कारखाने को अब संग्रहालय में बदल दिया गया है वर्तमान इतिहासकार मानते हैं कि भारत में मिसाइल या रॉकेट टेक्नोलॉजी का प्रारंभिक ज्ञान टीपू और हैदर अली का ही लाया हुआ था. ये आजकल के आधुनिक मिसाइल और रॉकेट की तरह ही हुआ करते थे. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाइयों में टीपू ने इन रॉकेट का खुलकर प्रयोग किया था.इनमें से कुछ आज भी इंग्लैण्ड के रॉयल आर्टिलरी म्यूजियम में सुरक्षित हैं. युद्ध में बड़े स्तर पर टीपू ने मिसाइलों का इस्तेमाल किया था.

05

5. टीपू का गाय कनेक्शन-पालतू जानवरों और खेती का गहरा रिश्ता रहा है. टीपू सुल्तान ये बात समझते थे इसलिए उन्होंने जानवरों की अच्छी नस्लें तैयार करने पर भी खासा योगदान दिया. 'हल्लीकर' और 'अमृत महल' नस्ल की गायों की प्रजाति का विकास उनके इन कदमों का ही परिणाम माना जाता है. कहा जाता है कि देशी नस्ल की गायों का प्रयोग वो पहाड़ियों पर हथियार चढ़ाने में भी करते थे. यानी जिस गाय के नाम पर देशभर में आज नेता पॉलिटिक्स-पॉलिटिक्स खेल रहे हैं, उस गाय से टीपू का बड़ा ही खास रिश्ता था.

06

6. 'मेक इन इंडिया' से सदियों पहले टीपू ने चलाया था 'मेक इन मैसूर' अभियान- टीपू को पश्चिमी विज्ञान और तकनीकी से बहुत लगाव था. उसने कई बंदूक बनाने वाले, इंजीनियर, घड़ी बनाने वाले घड़ीसाज और दूसरे तकनीकी विशेषज्ञों को फ्रांस से मैसूर बुलाया. उसने मैसूर में ही कांसे की तोप, गोले और बंदूकें बनानी शुरू कीं जिन पर 'मेड इन मैसूर' लिखा होता था.

07

7. भारत का पहला फ्रीडम फाइटर- टीपू सुल्तान ही था जिसने अग्रेजों के शासन के खतरे को गहराई से भांपा था और इसके लिए उसने अंग्रेजों से चार युद्ध भी लड़े थे. यही कारण है कि उसे भारतीय उपमहाद्वीप का पहला 'फ्रीडम फाइटर' कहा जाता है.टीपू ने ऑटोमन और फ्रेंच सम्राटों के पास मदद की मांग के लिए दूत भेजे.

08

8. किताब भी लिखी- टीपू ने 'ख्वाबनामा' नाम की एक किताब भी लिखी थी. इसमें वो अपने सपनों के बारे में लिखा करता था. वो इन सपनों को अपनी लड़ाइयों के नतीजों से जोड़कर तुलना करता था.

09

9. हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल - टीपू ने शासन के चिह्नों के रूप में बड़ी मात्रा में सूरज, शेर और हाथी का प्रयोग किया. जो साधारणत: हिंदू प्रतीक माने जाते हैं. टीपू की मौत के 217 साल बाद भी सारे इतिहासकार उसके इन प्रयोगों की सफलता पर सहमत होते हैं. वो मानते हैं कि आज भी टीपू के सामाजिक-आर्थिक सुधार फल-फूल रहे हैं. (चित्र में टीपू की कब्र)

10

10. हिंदू दरबारी और हिंदू मंदिरों को संरक्षण-  टीपू सुल्तान के मुख्यमंत्री 'पुरनैय्या' एक हिंदू थे, उनके दरबार में बहुत से मुख्य अधिकारी हिंदू ही थे.  टीपू ने कई हिंदू मंदिरों को संरक्षण दिया था. श्रीरंगपट्टन्नम में स्थित 'श्रीरंगनाथ का मंदिर' उनमें से एक है. 'श्रृंगेरी मठ' भी उनके संरक्षण में ही था जिसके स्वामी को उन्होंने 'जगद्गुरु' कहा. हालांकि आज लोग टीपू सुल्तान के शासन की तमाम तरह से व्याख्या करते हैं. कुछ उसे हिंदुओं का संरक्षक बताते हैं तो कुछ विरोधी. कुछ इस हद तक भी चले जाते हैं कि उसे कट्टर मुस्लिम और हिंदुओं का नरसंहार करने वाला भी कहते हैं.

  • 00

    पुण्यतिथि : क्यों हिंदुओं के प्रतीक इस्तेमाल करता था टीपू सुल्तान, कैसा शासक था वो

    1. मैसूर के कपड़े को खास बनाने का श्रेय टीपू को ही जाता है-मैसूर क्षेत्र में रेशम के कीड़े पालने के व्यवसाय की शुरुआत टीपू ने ही करवाई थी. मैसूर गजट में ये बात दर्ज है. टीपू सुल्तान ने बंगाल से शहतूत के पेड़ लगाने की कला सीखी और अपने राज्य में 21 अलग-अलग केंद्रों पर इसकी ट्रेनिंग देनी शुरू की. आगे चलकर ये उद्योग मैसूर का सबसे प्रमुख उद्योग बना.  मैसूर का रेशम (सिल्क) देश भर में अपनी गुणवत्ता के चलते जाना जाता है. टीपू ने न सिर्फ बाहर से कपास के आयात पर रोक लगाई बल्कि इस बात का भी पूरा ख्याल रखा कि हर बुनकर को कपड़े तैयार करने के लिए अच्छी मात्रा में कपास मिलता रहे.

    MORE
    GALLERIES