Holi 2021 : रामपुर में नवाबी दौर से ही मुस्लिम समाज के लोग भी खेलते हैं होली, नवाब रजा अली खां ने लिखे थे होली के गीत
Rampur Muslim Society Holi Milan Ceremony नवाबों के शहर रामपुर में नवाबी दौर से ही मुसलमान भी होली खेलते रहे हैं। रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खां ने तो होली गीत भी लिखे जो आज भी होली के मौके पर गाए जाते हैं।
By Narendra KumarEdited By: Updated: Mon, 29 Mar 2021 06:18 AM (IST)
मुरादाबाद, [मुस्लेमीन]। नवाबों के शहर रामपुर में नवाबी दौर से ही मुसलमान भी होली खेलते रहे हैं। रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खां ने तो होली गीत भी लिखे, जो आज भी होली के मौके पर गाए जाते हैं। किला मैदान होली मिलन समारोह भी होता है, जिसमें सभी संप्रदायों के लोग एक-दूसरे को होली की मुबारकबाद देते हैं। लेकिन, इस बार कोराेना के चलते होली मिलन समारोह का स्वरूप छोटा ही रहेगा। रामपुर के नवाबों ने अपनी रियासत में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दोने के लिए सभी धर्मों का सम्मान किया। सभी के त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाए। आज भी यह परंपरा कायम है।
किले के मैदान में होली के दिन होली मिलन समारोह होता है। सियासी दल और सामाजिक संगठन अपने स्टाल भी लगाते हैं, जहां लोगों का स्वागत किया जाता है। हिंदू भाइयों के साथ मुसलमान होली भी खेलते हैं। अखिल भारतीय मुस्लिम महांसघ की ओर से शनिवार को आंबेडकर पार्क में फूलों की होली खेली गई। महासंघ के अध्यक्ष फरहत अली खां कहते हैं कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा मिलता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रांत संयोजक फैसल मुमताज भी होली के मौके पर कार्यक्रम कराते हैं। कहते हैं कि रामपुर में पहले से ही एक दूसरे के त्योहार मनाने की रिवायत रही है, जिसे कुछ लोग आज भी निभा रहे हैं। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां भी होली के कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे हैं। लोगों को मुबारकबाद भी देते हैं।
नवाब रजा अली खां ने लिखे होली गीत
रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खां सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए सभी धर्मों के त्योहार मनाते थे। उन्होंने होली गीत भी लिखे, जो उस दौर में खूब प्रचलित रहे। रामपुर रजा लाइब्रेरी में उनका संगीत सागर है, जिसमें उनके लिखे गए होली गीत भी शामिल हैं। रामपुर का इतिहास लिखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता शौकत अली खां कहते हैं कि नवाब के लिखे होली गीत आज भी गाए जाते हैं। होली गीतों में कन्हैया और गोपियों का भी वर्णन किया गया है। उनके लिखे गीत होली की रुत आई री, सजी फिर खेती लहलाई री, नीह पपीहा बोल रहा है, सुंदरता मधुवन पर छाई, होली खेलें राधा कन्हाई और फाल्गुन में ब्रजवासी ने लीला रचाई है, हर नार आज रंग गगर भरकर लाई है। आ जाओ अब कन्हैया नहीं गोपियों को चैन, तुम्हरी ही बांट जोहते हैं आज उनके नयन, गीत खूब पसंद किए गए।
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